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Rajasthan Ki Bhasha (राजस्थान की भाषा, साहित्य और बोलियाॅं)

डाॅ. टेसीटोरी के अनुसार 12वी सदी के लगभग राजस्थानी भाषा अपने अस्तित्व में आ चुकी थी।
राजस्थानी भाषा का उद्भव 9वी शती माना जाता है किन्तु इसमें साहित्य रचना के प्रमाण 13वी शताब्दी से मिलते है।
राजस्थान की भाषा की उत्पती काल ग्यारहवी शताब्दी माना जाता है।
डिंगल और पिंगल राजस्थानी की दो विषिष्ठ काव्य शैलियों के नाम है।डिंगल
डिंगल कोई भाषा नही है बल्कि मारवाड़ी की ही साहित्यिक शैली है।
डिंगल भाषा की प्रमुख विषेषता है कि इसमे जो शब्द जिस तरह बोला जाता है उसी तरह लिखा जाता है।
डिंगल भाषा का सर्वप्रथम प्रयोग कुषललाभ द्वारा रचित पिंगल षिरोमणि नामक ग्रंथ में किया गया।
राजस्थान में चारण कवि बांकीदास और सूर्यमल्ल मिश्रण ने अपनी रचनाओं में डिंगल भाषा का प्रयोग किया था।

पिंगल
पिंगल भाटों द्वारा रचित राजस्थानी की विषिष्ट काव्य शैली है। भाटों का प्रमुख कार्य विभिन्न वंषों की वंषावली रखना है।

राजस्थान की बोलियाॅं:
राजस्थान की बोलियों पर पहला भाषा की वैज्ञानिक दृष्टिपात जार्ज ग्रियसन ने अपने ग्रंथ लिग्विस्टिक सर्वे आॅफ इंडिया में किया जो निम्न है-

मारवाड़ी :
पष्चिम राजस्थान में बोलने वालों की दृष्टि से मारवाड़ी प्रथम स्थान रखती है।
जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेरी, सिरोही, सीकर, बाड़मेर, गंगानगर
अबुल फजल ने आइने अकबरी में मारवाड़ी बोलि को भारत की प्रमुख भाषाओं में गिनाया है।
मारवाड़ी को राजस्थान की मानक बोली भी कहा जाता है।

मेवाड़ी :
उदयपुर, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा

ढूढाॅंढी :-
ढूॅंढाडी ढूॅंढ टीला शब्द से बना है।
ढूॅंढाडी को जयपुरी व झाड़साही भी कहा जाता है।
जयपुर, अजमेर, दौसा, टोंक, सवाईमाधोपुर

हाड़ौती :
कोटा, बूंदी, बांरा, झालावाड़

मेवाती :-

अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली

बांगडी :-

डूॅंगरपुर व बाॅंसवाड़ा

मालवी :-

यह बोली झालावाड़, कोटा और प्रतापगढ़ के मालवा से जुड़े-भू-भाग में बोली जाती हैं।

ब्रज :-

यह बोली भरतपुर से लगे भू क्षेत्र में बोली जाती है।

यहाँ आपको मिलेगा एक संपूर्ण परिचय — राजस्थान की भाषा, साहित्य और बोलियाँ पर, जो प्रतियोगी परीक्षाओं (जैसे RPSC, REET, पटवारी, आदि) और सामान्य ज्ञान के लिए अत्यंत उपयोगी है:


🗣️ राजस्थान की भाषा (Language of Rajasthan)

राजस्थान की प्रमुख भाषा को राजस्थानी (Rajasthani) कहा जाता है, जो हिंदी की पश्चिमी उपभाषा है और इंडो-आर्यन भाषा परिवार से संबंधित है।

📌 राजस्थानी कोई एक भाषा नहीं, बल्कि अनेक बोलियों का समूह है।


🗃️ राजस्थानी भाषा का स्वरूप

पक्ष विवरण
मूल प्राचीन शौरसेनी अपभ्रंश से विकसित
लिपि देवनागरी (अधिक प्रचलित), कुछ स्थानों पर महाजनी
मान्यता अभी तक संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं
प्रयुक्त क्षेत्र राजस्थान, हरियाणा, गुजरात, पंजाब, मध्य प्रदेश के कुछ हिस्से

📚 राजस्थानी साहित्य (Rajasthani Literature)

राजस्थान का साहित्य वीर रस, भक्ति रस और प्रेम रस से भरपूर है।

🔹 प्रमुख साहित्यिक विधाएँ:

  • पिंगल – वीर रस से भरी काव्य रचनाएँ (प्राचीन राजाओं की प्रशंसा में)
  • चारण साहित्य – चारण कवियों द्वारा रचित शौर्य गाथाएँ
  • डिंगल और पिंगल – राजस्थानी भाषा की दो प्रमुख काव्य शैलियाँ

🖋️ प्रमुख साहित्यकार:

साहित्यकार विशेषता
जेसल चारण कवि, वीर रस
भट्ट मथुरा पिंगल काव्य के प्रमुख रचयिता
सूझा ऐतिहासिक काव्य
कवि ईसरदास डिंगल साहित्य के कवि
महाकवि कन्हैयालाल सेठिया आधुनिक राजस्थानी साहित्य के जनक, “धरती धोरां री” रचना प्रसिद्ध
विजयदान देथा राजस्थानी लोककथाओं के संग्रहकर्ता (लोक कथाओं पर आधारित कहानियाँ – बातां री फुलवारी)

🗺️ राजस्थानी की प्रमुख बोलियाँ (Major Dialects of Rajasthani)

राजस्थानी की लगभग 8 प्रमुख बोलियाँ और कई उप-बोलियाँ हैं:

बोली क्षेत्र
मारवाड़ी जोधपुर, नागौर, बीकानेर, पाली, बाड़मेर
मेवाड़ी उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़
ढूंढाड़ी जयपुर, दौसा, टोंक
हाड़ौती कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़
मालवी प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़ (कुछ भाग), मध्यप्रदेश में भी
शेखावाटी झुंझुनू, सीकर, चूरू
गोडवाड़ी सिरोही, जालोर
बागड़ी श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ (हरियाणा सीमावर्ती क्षेत्र)

🌟 कुछ रोचक तथ्य

  • “धरती धोरां री” – राजस्थानी गौरव गीत (कवि कन्हैयालाल सेठिया)
  • 2003 से राजस्थानी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग चल रही है
  • राजस्थान में कई कवियों ने भक्ति आंदोलन में भाग लिया – जैसे मीरांबाई (मेवाड़ी)

🧾 राजस्थानी भाषा और हिंदी का संबंध

तत्व राजस्थानी हिंदी से तुलना
मूल शौरसेनी अपभ्रंश समान
लिपि देवनागरी समान
व्याकरण मिलती-जुलती परंतु स्वतंत्र नियमों वाली
शब्द संस्कृत, प्राकृत और लोक बोली से प्रेरित

📝 संक्षिप्त रूप में – परीक्षा उपयोगी तथ्य

  • राजस्थानी भाषा = भाषा समूह, न कि एकल भाषा
  • मारवाड़ी = सबसे अधिक बोली जाने वाली बोली
  • साहित्यिक शैली: पिंगल, डिंगल
  • “राजस्थानी” अभी तक संवैधानिक मान्यता प्राप्त नहीं
  • कवि कन्हैयालाल सेठिया – आधुनिक राजस्थानी साहित्य के स्तंभ

📦 चाहें तो आप प्राप्त कर सकते हैं:

  • राजस्थानी बोलियों का नक्शा (Map PDF)
  • राजस्थानी साहित्य के महत्वपूर्ण लेखक-रचनाएँ चार्ट
  • राजस्थानी भाषा vs हिंदी की तुलना नोट्स

क्या मैं आपके लिए इनमें से कुछ तैयार करूँ?

Rajasthan Ki Bhasha (राजस्थान की भाषा, साहित्य और बोलियाॅं)

राजस्थानी साहित्य रो इतियास

राजस्थान की भाषा व बोलियाँ

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