- जन्म चुरू जिले के ददरेवा नामक स्थान पर हुआ था
 - पिता का नाम जेवर, माता का नाम बाछल था
 - हनुमानगड़ के गोगामेडी मे प्रत्येक गोगानवमी के दिन मेला लगता है
 - गोगा जी का प्रतिक घोड़ा है
 
तेजाजी
- जन्म नागौर जिले के खड़नाल गॉव मे हुआ था
 - पिता का नाम ताहडजी, माता का नाम राजकुँवर था
 - सर्पो के देवता के रूप मे पूजा की जाती है
 - नागौर जिले के परबतसर गाँव मे हर साल भाद्रपद की शुक्ल दशमी को पशु मेला लगता
 
पाबूजी
- जन्म फलोदी (जोधपुर) जिले के कोलू गॉव मे हुआ था
 - ऊँटो के देवता के रूप मे प्रसिद
 - पाबूजी का प्रतिक चिन्ह भाला लिए अश्वारोही रूप है
 - कोलू (फलोदी) मे हर साल मेला लगता है
 
रामदेवजी
- जन्म बाड़मेर जिले के उडूकासमेर गाँव मे
 - पिता का नाम अजमल, माँ का नाम मेनादेवी
 - पोकरण (जैसलमेर) के पास रुणेचा, यहाँ हर साल भाद्रपद शुक्ला द्वितीय को एकादशी तक मेला लगता है
 - रामदेव जी का प्रतिक चिन्ह चरण चिन्ह (पगलिये)है
 
बाबा तल्लीनाथ
- तल्लीनाथ जी का बचपन का नाम गागदेव, पिता का नाम विरमदेव था
 - तल्लीनाथ जी ने सदेव पेड़ पौधो की रक्षा व सवर्धन पर बल दिया इसलिए तल्लीनाथ पूजा स्थली पंचमुखी पहाड़ पर कोई पेड़ पौधा नहीं काटता है
 - इनके गुरु का नाम जलन्धर नाथ था
 
केला देवी
- केला देवी यदुवंशी राजवंश की कुल देवी है
 - जो दुर्गा के रूप मे मानी जाती है
 - प्रतिवर्ष चेत्र मास की शुक्ल अष्टमी को लक्खी मेला लगता है
 - मंदिर त्रिकुट पर्वत (करोली) राजस्थान मे है
 
शीलादेवी
- आमेर राज्य के शासक मानसिंह (प्रथम) ने पूर्वी बंगाल विजय के बाद इसे आमेर के राजभवनो के मध्य मे स्थापित करवाया था
 - शीलादेवी की स्थापना 16 वी शताब्दी मे हुई थी
 - शीलादेवी की प्रतिमा अष्टभुजी है
 
- करणी माता बीकानेर के राठौर वंश की कुलदेवी है
 - करणी माता का मंदिर बीकानेर जिले के देशनोक नामक स्थान पर स्थित है
 - करणी माता चूहों की देवी के नाम से भी प्रसिद है यहाँ पर सफ़ेद चूहों को काबा कहा जाता है
 - नवरात्री के दिनों मे देशनोक मे करणीमाता का मेला भरा जाता है
 
- जीणमाता का मंदिर सीकर जिले मे हर्ष की पहाड़ी के ऊपर स्थित है
 - चौहानों की कुलदेवी है
 - जीणमाता का मेला प्रतिवर्ष चेत्र व आश्विन माह के नवरात्रों मे आता है
 
शीतला माता
- शीतला माता की पुजा कुम्हार करते है
 - चाकसू मे शील की डूंगरी पर शीतला माता का मंदिर स्थित है
 - शीतला माता अकेली देवी है जो खण्डित रूप मे पूजी जाती
 - यहाँ प्रतिवर्ष शीतला अष्टमी को मेला लगता है
 
सकराय माता
- सकराय माता का मंदिर उदयपुरवाट़ी (झुंझुनू) के समीप स्थित है
 - खंडेलवालो की कुल देवी है
 - इन्हेंशाकम्भरी देवी भी कहा जाता है
 
धुरमेढी स्थान किस लोक देवता से सम्बन्धित है।
( गोगाजी )
संत पीपा के गुरू कौन थे।
( रामानन्द )
कंठेसरी माता किसकी लोकदेवी मानी जाती है।
( आदिवासियों की ) 
बाणमाता कुल देवी की अराधना होती है।
( मेवाड़ में ) 
सच्चिया माता कुल देवी है।
( ओसवालों की ) 
अन्नपूर्णा देवी किस राजपरिवार की अराध्य देवी है।
( कछवाहा )
भारतीय डाक विभाग ने किस लोक देवता की फड़ पर डाक टिकट जारी किया है।
( देवनारायण जी ) 
राजस्थान का हरिद्वार किसे कहते है।
( मातृकुण्डिया )
आवरी माता का मंदिर कहाॅं स्थित है।
( निकुम्भ )
किस देवी को सैनिकों की देवी कहा जाता है।
( तनोटिया माता )
सुडांमाता का मन्दिर स्थित है।
( जालौर )
वीर तेजाजी की घोड़ी का नाम है।
( लीलण )
प्लेग रक्षक देवता के रूप में प्रसिद्व है।
( पाबूजी )
यहाँ प्रस्तुत है – राजस्थान के प्रमुख लोकदेवता एवं लोकदेवियाँ की विस्तृत जानकारी, जो राज्य की लोक-संस्कृति, धार्मिक विश्वास और वीरता की मिसाल हैं। यह विषय प्रतियोगी परीक्षाओं (जैसे RPSC, REET, Patwar, आदि) और सांस्कृतिक अध्ययन दोनों के लिए बहुत उपयोगी है।
Contents
- 1 🕉️ राजस्थान के प्रमुख लोकदेवता (Lok Devta of Rajasthan)
 - 2 🪔 राजस्थान की प्रमुख लोकदेवियाँ (Lok Devi of Rajasthan)
 - 3 📿 लोकदेवता और लोकदेवियों की पूजा के विशेष रूप
 - 4 📌 परीक्षा उपयोगी तथ्य (One-Liners)
 - 5 🧾 सारांश में
 - 6 📥 क्या आप चाहेंगे?
 - 7 Rajasthan Lok Devta and Lok Devi (राजस्थान के लोकदेवता और देवियाँ)
 - 8 राजस्थान-के-लोक-देवता-और-लोक-देवियां.pdf
 
🕉️ राजस्थान के प्रमुख लोकदेवता (Lok Devta of Rajasthan)
| लोकदेवता | प्रमुख क्षेत्र | मुख्य विशेषताएँ / मान्यता | 
|---|---|---|
| बाबा रामदेव जी | रामदेवरा (जैसलमेर) | दलितों और मुस्लिम भक्तों में लोकप्रिय, “रामसा पीर”, समाधि स्थल – रामदेवरा | 
| गोगाजी | गोगामेड़ी (हनुमानगढ़) | नाग देवता, सर्पदंश से रक्षा, “जाहरवीर”, मुस्लिम समुदाय में भी आस्था | 
| तेजाजी | खड़नाल (नागौर) | नागों के देवता, वीर योद्धा, सच्चे वचनों के लिए प्रसिद्ध | 
| पाबूजी | कोलू (जोधपुर) | गायों के रक्षक, राजस्थान की लोककथाओं के नायक | 
| हरभूजी | मेड़ता (नागौर) | पाबूजी के भाई, धार्मिक व न्यायप्रिय योद्धा | 
| मालाजी | बीजवा (अजमेर) | चमत्कारी लोकदेवता | 
| देवनारायण जी | मालासर (भीलवाड़ा) | गुर्जर समाज के आराध्य, महाभारत व पौराणिक शैली की कथाएँ | 
| मोकलजी | मेवाड़ क्षेत्र | राणा हम्मीर के पूर्वज, वीरता और न्यायप्रियता के प्रतीक | 
| दादा श्रीधाम | अलवर, भरतपुर | लोकपूज्य, स्थानीय सम्मानित देवता | 
🪔 राजस्थान की प्रमुख लोकदेवियाँ (Lok Devi of Rajasthan)
| लोकदेवी | प्रमुख क्षेत्र | विशेषताएँ | 
|---|---|---|
| कर्णी माता | देशनोक (बीकानेर) | चूहों का मंदिर, शक्तिरूपा, बीकानेर राजघराने की कुलदेवी | 
| नैनाभोज माता | अजमेर क्षेत्र | मातृशक्ति की प्रतीक, ग्रामीण आस्था का केंद्र | 
| हड़बू माता | अलवर क्षेत्र | अन्न और संतोष की देवी | 
| अवड माता | जोधपुर क्षेत्र | संकट से रक्षा करने वाली देवी | 
| शिला माता | आमेर (जयपुर) | दुर्गा रूप, आमेर के किले में स्थित प्रसिद्ध मंदिर | 
| बाणेश्वरी माता | बांसवाड़ा | आदिवासी समाज की कुलदेवी | 
| राजराजेश्वरी माता | चित्तौड़गढ़ | शौर्य व सत्ता की देवी | 
📿 लोकदेवता और लोकदेवियों की पूजा के विशेष रूप
| परंपरा | विवरण | 
|---|---|
| मेला | हर वर्ष प्रमुख देवताओं के मंदिरों पर विशाल मेले लगते हैं (जैसे – रामदेवरा मेला, गोगामेड़ी मेला) | 
| फड़ गायन | देवनारायण जी और पाबूजी की फड़ चित्रकला और कथागान शैली | 
| जागरण / भजन | रात भर गीतों और कथाओं द्वारा पूजा | 
| घोड़े की मूर्ति | पाबूजी, तेजाजी जैसे देवताओं के साथ घोड़े की प्रतिमा आवश्यक होती है | 
| मुस्लिम-हिंदू एकता | रामदेव जी, गोगाजी जैसे देवताओं को दोनों समुदाय पूजते हैं | 
📌 परीक्षा उपयोगी तथ्य (One-Liners)
- रामदेव जी को ‘रामसा पीर’ भी कहा जाता है
 - गोगाजी का प्रमुख प्रतीक – साँप
 - पाबूजी – पशुपालकों के रक्षक
 - तेजाजी – नागों के देवता
 - कर्णी माता मंदिर – चूहों की उपस्थिति के लिए विश्व प्रसिद्ध
 - देवनारायण जी – गुर्जर समाज के देवता, “फड़” में पूजा होती है
 - राजस्थान के लोकदेवता – सामाजिक समरसता और लोकगाथा का प्रतीक
 
🧾 सारांश में
| वर्ग | प्रमुख उदाहरण | 
|---|---|
| लोकदेवता | रामदेव जी, गोगाजी, पाबूजी, तेजाजी, देवनारायण जी | 
| लोकदेवियाँ | कर्णी माता, शिला माता, अवड माता, बाणेश्वरी माता | 
| पूजा विधि | भजन, फड़ गायन, मेले, जागरण | 
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