राजस्थान की हस्तकला

  • हाथों द्वारा कलात्मक वस्तुओं के निर्माण को हस्तकला कहा जाता है।
  • राजस्थान सर्वाधिक विदेशी मुद्रा हस्तकला उद्योग से प्राप्त करता है। तथा हस्तकला उद्योग में भी सर्वाधिक विदेशी मुद्रा हीरे-जवाहरात उद्योग से प्राप्त करता है।
  • 1992 की औद्योगिक नीति में हस्तकला उद्योग को संरक्षण देकर उन्हें लघु उद्योग का दर्जा दिया गया।
  • 1998 की औद्योगिक नीति में हस्तकला उद्योग में क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने का निर्णय लिया गया।

प्रमुख हस्तकलाएॅं
मीनाकारी

  • राजस्थान में मीनाकारी का सर्वाधिक कार्य जयपुर में होता है।
  • जयपुर के मीनाकार सोने चॉंदी के आभूषणों पर कलात्मक मीनाकारी के लिए विश्व प्रसिद्व है।
  • जयपुर में रत्नों की कटाई, घिसाई एवं मिनाकारी के कार्य को प्रोत्साहित करने के लिए जयपुर जेम्स स्टोन की स्थापना की गई।
  • कॉंच पर सोने की मीनाकारी के लिए प्रतापगढ़ चित्तौड़गढ़ के मीनाकार प्रसिद्व है।इस कला को थेवा कला कहा जाता है। यह कला प्रतापगढ़ के राज सोनी परिवार में केवल पुरूषों में प्रचलित है।
  • कागज जैसे पतले पत्थर पर मीनाकारी के लिए बीकानेर के मीनाकार विश्व प्रसिद्व है। बीकानेर के कलाकारों को उस्ताद कहा जाता है।
  • पीतल पर मीनाकारी के लिए जयपुर एवं अलवर प्रसिद्व है। पीतल पर मीनाकारी को सर्वाधिक कार्य अलवर में होता है।
  • बीकानेर में उॅंटों की खाल पर जो मीनाकारी की जाती है उसे उस्ताकला कहते है।
  • स्व0 हिसामुद्वीन इस कला के महान कलाकार थे।

हाथी दांत पर हस्तशिल्प

  • राजस्थान में हाथी दांत का सर्वाधिक कार्य जयपुर, जोधपुर एवं उदयपुर में होता है।
  • राजस्थान के राजपूत समाज में विवाह के अवसर पर हाथी दांत का चूड़ा पहनने की प्रथा है।
  • हाथी दांत की सजावटी एवं कलात्मक वस्तुएॅं सर्वाधिक जयपुर में बनती है।
  • हाथी दांत का चूड़ा जोधपुर का प्रसिद्व है।
  • हाथी दांत राजस्थान में सर्वाधिक केरल, कर्नाटक और थाइलैण्ड से आता है।

लाख पर हस्तशिल्प 

  • राजस्थान में लाख पर हस्तशिल्प का कार्य जयपुर, उदयपुर, जोधपुर, अजमेर एवं भरतपुर में विशेष रूप से होता है।
  • राजस्थान में मांगलिक अवसरों पर लाख का चूड़ा पहना जाता है।

राजस्थान में रंगाई छपाई एवं बुनाई

  • जयपुर के रंगरेंज एवं नीलगरे रंगाई एवं छपाई के लिए विश्व प्रसिद्व है।
  • जयपुर का सांगानेरी प्रिंट छपाई, बगरू के बेलबूटा की छपाई, बाड़मेर की अजरक प्रिन्ट, चित्तौड़गढ़ की जाजम छपाई तथा आकोला चित्तौड़गढ़ की दाबू की छपाई विश्व प्रसिद्व है।
  • जयपुर का पोमचा जो पीले रंग का होता है जन्म उत्सव पर विशेषकर मॉं के द्वारा ओढ़ा जाता है।
  • जोधपुर का मोठड़ा राष्ट्रीय पोशाक का अभिन्न अंग है।
  • मेवाड़ की पगड़ी वीरता की प्रतीक है।
  • कोटा की कोटा डोरिया एवं मसूरियॉं साड़ियॉं पूरे देशभर में प्रसिद्व है।
  • राजस्थान में जयपुर, अजमेर, बीकानेर एवं जैसलमेर में ऊनी कम्बल बुने जाते है।
  • बीकानेर के ऊनी कम्बल विश्व प्रसिद्व है।
  • बीकानेर में ईरानी एवं फारसी शैली के बने गलीचे विश्व प्रसिद्व है।
  • राजस्थान में ऊनी कालीन बीकानेर तथा जैसलमेर में सर्वाधिक बनते है।
  • बीकानेर के बुने ऊनी कालीन सर्वाधिक विदेशों में निर्यात होते है।

राजस्थान में चमड़ें पर हस्तशिल्प

  • राजस्थान में सर्वाधिक चमड़ा उत्पादन कोटा में होता है।
  • राजस्थान में चमड़ा उद्योग को प्रोत्साहन के लिए जयपुर के निकट मानपुरा माचेड़ी में लेदर कॉम्पलैक्स विकसित किया गया है।
  • राजस्थान में चमड़े की घरेलू उपयोग की वस्तुएॅं सर्वाधिक जयपुर में बनती है।
  • जयपुर तथा जोधपुर में बनी चमड़े की मोजड़ियॉं क्रमशः विवाह एवं दैनिक उपयोग में ली जाती है।
  • नागौर जिले के बडू में संयुक्त राष्ट् संघ के द्वारा अपने UNDP ( United Nation Development Programme ) के तहत जूतियॉं बनाने की एक परियोजना संचालित की जा रही है।
  • जालौर के भीनमाल में बनी कसीदायुक्त मोजड़ियॉं पूरे विश्व में प्रसिद्व है।
  • राजस्थान के कोटा में चमड़ा मण्डी विकसित की जा रही है।

लकड़ी पर हस्तशिल्प

  • काष्ठ कला के लिए डूॅंगरपुर का जेठाना विश्व प्रसिद्व है। (लकड़ी का फर्नीचर)
  • राजस्थान में लकड़ी पर हस्तशिल्प का सर्वाधिक कार्य उदयपुर में होता है।
  • उदयपुर लकड़ी की कठपुतियों के लिए, चित्तौड़गढ़ जिले का बस्सी लकड़ी के तोरण के लिए, जयपुर लकड़ी के पशु-पक्षियों के सेट जोड़े के लिए मेड़ता लकड़ी के खिलोनों के लिए विश्व प्रसिद्व है।
  • शेखावटी क्षेत्र में लकड़ी के नक्काशीदार किवाड़ बनाये जाते है।
  • राजस्थान मे लकड़ी के झूले सर्वाधिक उदयपुर में बनाये जाते है।
  • लकड़ी के बाजौट (चौकी-पाटा) सर्वाधिक जयपुर मे बनाये जाते है।
  • चित्तौड़गढ़ जिले के बस्सी में लकड़ी के हस्तशिल्प उद्योग को संयुक्त राष्ट् संघ के द्वारा संचालित किया जा रहा है।

राजस्थान में लोक चित्रांकन

  • सीकर जिले के खण्डेला में कपड़े पर मोम की परत चढ़ाकर जो चित्र बनाये जाते है उसे बातिक शैली कहते है।
  • राजसमन्द जिले के नाथद्वारा में कपड़े पर श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं के चित्र बनाकर जो कृष्ण की प्रतिमा के पीछे लगाये जाते है उन्हें पिछवाई चित्र कहा जाता है।
  • जयपुर पर गोंद मिश्रित मिट्टी की परत चढ़ाकर सोने एवं चॉंदी के तबक की छपाई लकड़ी के छापों से की जाती है उसे रेवड़ी की कला कहते है।

राजस्थान में पोटरी उद्योग

  • महाराजा मानसिंह के काल में ईरान उदमुद ब्ल्यु पॉटरी का विकास जयपुर में हुआ था।
  • जयपुर के महाराजा रामसिंह के काल मे ब्ल्यु पॉटरी का सर्वाधिक विकास हुआ था।
  • वर्तमान में कृपाल सिंह शेखावत ब्ल्यु पॉटरी के अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकार है।
  • कोटा की ब्लैक पॉटरी भी देशभर में प्रसिद्व है।
  • अलवर की डबल कट वर्क की पॉटरी का कागजी कहा जाता है।

संगमरमर पर हस्तशिल्प

  • राजस्थान के जयपुर में संगमरमर की मूर्तियॉं बनती है जो विदेशों में निर्यात होती है।
  • अलवर जिले के किशोरी गॉंव में संगमरमर की सजावटी वस्तुएॅं एवं मूर्तियों का निर्माण होता है।
  • राजस्थान मे नागौर जिले के कुचामन तथा मकराना में भी संगमरमर की सजावटीं वस्तुएॅं बनायी जाती है।

हस्तकला विशेष

  • जयपुर में बनी 250 ग्राम रूई की रजाई विश्व प्रसिद्व है।
  • जोधपुर में पानी का ठण्डा रखने के लिए मिट्ठी का जो घड़ा बनाया जाता है उसे बादला कहा जाता है।
  • राजसमन्द जिले के नाथद्वारा के निकट मोलेला गॉंव में टेराकोटा उद्योग विकसित है।
  • डूॅंगरपुर जिले के गलियाकोट में रमकड़ उद्योग प्रसिद्व है जिसमें सौंप स्टोन को तराशकर वस्तुओं का निर्माण किया जाता है।
  • भीलवाड़ा जिले के शाहपुरा में 5 मीटर चौड़े और 30 मीटर लम्बे कपड़े पर लोक देवताओं की जीवनगाथाओं पर आधारित जो चित्र अंकित किये जाते हैं उसे फड़ कहा जाता है।
  • राजस्थान में सतरंगी लहरियों का सर्वाधिक कार्य जयपुर में होता है।
  • राजस्थान में सर्वाधिक हाथों से कागज सांगानेर जयपुर में बनाये जाते है। द्वितीय स्थान पर सवाई माधोपुर का है।
  • हाथों द्वारा कलात्मक वस्तुओं के निर्माण को हस्तकला कहा जाता है।
  • राजस्थान सर्वाधिक विदेशी मुद्रा हस्तकला उद्योग से प्राप्त करता है। तथा हस्तकला उद्योग में भी सर्वाधिक विदेशी मुद्रा हीरे-जवाहरात उद्योग से प्राप्त करता है।
  • 1992 की औद्योगिक नीति में हस्तकला उद्योग को संरक्षण देकर उन्हें लघु उद्योग का दर्जा दिया गया।
  • 1998 की औद्योगिक नीति में हस्तकला उद्योग में क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने का निर्णय लिया गया।

प्रमुख हस्तकलाएॅं
मीनाकारी

  • राजस्थान में मीनाकारी का सर्वाधिक कार्य जयपुर में होता है।
  • जयपुर के मीनाकार सोने चॉंदी के आभूषणों पर कलात्मक मीनाकारी के लिए विश्व प्रसिद्व है।
  • जयपुर में रत्नों की कटाई, घिसाई एवं मिनाकारी के कार्य को प्रोत्साहित करने के लिए जयपुर जेम्स स्टोन की स्थापना की गई।
  • कॉंच पर सोने की मीनाकारी के लिए प्रतापगढ़ चित्तौड़गढ़ के मीनाकार प्रसिद्व है।इस कला को थेवा कला कहा जाता है। यह कला प्रतापगढ़ के राज सोनी परिवार में केवल पुरूषों में प्रचलित है।
  • कागज जैसे पतले पत्थर पर मीनाकारी के लिए बीकानेर के मीनाकार विश्व प्रसिद्व है। बीकानेर के कलाकारों को उस्ताद कहा जाता है।
  • पीतल पर मीनाकारी के लिए जयपुर एवं अलवर प्रसिद्व है। पीतल पर मीनाकारी को सर्वाधिक कार्य अलवर में होता है।
  • बीकानेर में उॅंटों की खाल पर जो मीनाकारी की जाती है उसे उस्ताकला कहते है।
  • स्व0 हिसामुद्वीन इस कला के महान कलाकार थे।

हाथी दांत पर हस्तशिल्प

  • राजस्थान में हाथी दांत का सर्वाधिक कार्य जयपुर, जोधपुर एवं उदयपुर में होता है।
  • राजस्थान के राजपूत समाज में विवाह के अवसर पर हाथी दांत का चूड़ा पहनने की प्रथा है।
  • हाथी दांत की सजावटी एवं कलात्मक वस्तुएॅं सर्वाधिक जयपुर में बनती है।
  • हाथी दांत का चूड़ा जोधपुर का प्रसिद्व है।
  • हाथी दांत राजस्थान में सर्वाधिक केरल, कर्नाटक और थाइलैण्ड से आता है।

लाख पर हस्तशिल्प 

  • राजस्थान में लाख पर हस्तशिल्प का कार्य जयपुर, उदयपुर, जोधपुर, अजमेर एवं भरतपुर में विशेष रूप से होता है।
  • राजस्थान में मांगलिक अवसरों पर लाख का चूड़ा पहना जाता है।

राजस्थान में रंगाई छपाई एवं बुनाई

  • जयपुर के रंगरेंज एवं नीलगरे रंगाई एवं छपाई के लिए विश्व प्रसिद्व है।
  • जयपुर का सांगानेरी प्रिंट छपाई, बगरू के बेलबूटा की छपाई, बाड़मेर की अजरक प्रिन्ट, चित्तौड़गढ़ की जाजम छपाई तथा आकोला चित्तौड़गढ़ की दाबू की छपाई विश्व प्रसिद्व है।
  • जयपुर का पोमचा जो पीले रंग का होता है जन्म उत्सव पर विशेषकर मॉं के द्वारा ओढ़ा जाता है।
  • जोधपुर का मोठड़ा राष्ट्रीय पोशाक का अभिन्न अंग है।
  • मेवाड़ की पगड़ी वीरता की प्रतीक है।
  • कोटा की कोटा डोरिया एवं मसूरियॉं साड़ियॉं पूरे देशभर में प्रसिद्व है।
  • राजस्थान में जयपुर, अजमेर, बीकानेर एवं जैसलमेर में ऊनी कम्बल बुने जाते है।
  • बीकानेर के ऊनी कम्बल विश्व प्रसिद्व है।
  • बीकानेर में ईरानी एवं फारसी शैली के बने गलीचे विश्व प्रसिद्व है।
  • राजस्थान में ऊनी कालीन बीकानेर तथा जैसलमेर में सर्वाधिक बनते है।
  • बीकानेर के बुने ऊनी कालीन सर्वाधिक विदेशों में निर्यात होते है।

राजस्थान में चमड़ें पर हस्तशिल्प

  • राजस्थान में सर्वाधिक चमड़ा उत्पादन कोटा में होता है।
  • राजस्थान में चमड़ा उद्योग को प्रोत्साहन के लिए जयपुर के निकट मानपुरा माचेड़ी में लेदर कॉम्पलैक्स विकसित किया गया है।
  • राजस्थान में चमड़े की घरेलू उपयोग की वस्तुएॅं सर्वाधिक जयपुर में बनती है।
  • जयपुर तथा जोधपुर में बनी चमड़े की मोजड़ियॉं क्रमशः विवाह एवं दैनिक उपयोग में ली जाती है।
  • नागौर जिले के बडू में संयुक्त राष्ट् संघ के द्वारा अपने UNDP ( United Nation Development Programme ) के तहत जूतियॉं बनाने की एक परियोजना संचालित की जा रही है।
  • जालौर के भीनमाल में बनी कसीदायुक्त मोजड़ियॉं पूरे विश्व में प्रसिद्व है।
  • राजस्थान के कोटा में चमड़ा मण्डी विकसित की जा रही है।

लकड़ी पर हस्तशिल्प

  • काष्ठ कला के लिए डूॅंगरपुर का जेठाना विश्व प्रसिद्व है। (लकड़ी का फर्नीचर)
  • राजस्थान में लकड़ी पर हस्तशिल्प का सर्वाधिक कार्य उदयपुर में होता है।
  • उदयपुर लकड़ी की कठपुतियों के लिए, चित्तौड़गढ़ जिले का बस्सी लकड़ी के तोरण के लिए, जयपुर लकड़ी के पशु-पक्षियों के सेट जोड़े के लिए मेड़ता लकड़ी के खिलोनों के लिए विश्व प्रसिद्व है।
  • शेखावटी क्षेत्र में लकड़ी के नक्काशीदार किवाड़ बनाये जाते है।
  • राजस्थान मे लकड़ी के झूले सर्वाधिक उदयपुर में बनाये जाते है।
  • लकड़ी के बाजौट (चौकी-पाटा) सर्वाधिक जयपुर मे बनाये जाते है।
  • चित्तौड़गढ़ जिले के बस्सी में लकड़ी के हस्तशिल्प उद्योग को संयुक्त राष्ट् संघ के द्वारा संचालित किया जा रहा है।

राजस्थान में लोक चित्रांकन

  • सीकर जिले के खण्डेला में कपड़े पर मोम की परत चढ़ाकर जो चित्र बनाये जाते है उसे बातिक शैली कहते है।
  • राजसमन्द जिले के नाथद्वारा में कपड़े पर श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं के चित्र बनाकर जो कृष्ण की प्रतिमा के पीछे लगाये जाते है उन्हें पिछवाई चित्र कहा जाता है।
  • जयपुर पर गोंद मिश्रित मिट्टी की परत चढ़ाकर सोने एवं चॉंदी के तबक की छपाई लकड़ी के छापों से की जाती है उसे रेवड़ी की कला कहते है।

राजस्थान में पोटरी उद्योग

  • महाराजा मानसिंह के काल में ईरान उदमुद ब्ल्यु पॉटरी का विकास जयपुर में हुआ था।
  • जयपुर के महाराजा रामसिंह के काल मे ब्ल्यु पॉटरी का सर्वाधिक विकास हुआ था।
  • वर्तमान में कृपाल सिंह शेखावत ब्ल्यु पॉटरी के अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकार है।
  • कोटा की ब्लैक पॉटरी भी देशभर में प्रसिद्व है।
  • अलवर की डबल कट वर्क की पॉटरी का कागजी कहा जाता है।

संगमरमर पर हस्तशिल्प

  • राजस्थान के जयपुर में संगमरमर की मूर्तियॉं बनती है जो विदेशों में निर्यात होती है।
  • अलवर जिले के किशोरी गॉंव में संगमरमर की सजावटी वस्तुएॅं एवं मूर्तियों का निर्माण होता है।
  • राजस्थान मे नागौर जिले के कुचामन तथा मकराना में भी संगमरमर की सजावटीं वस्तुएॅं बनायी जाती है।

हस्तकला विशेष

  • जयपुर में बनी 250 ग्राम रूई की रजाई विश्व प्रसिद्व है।
  • जोधपुर में पानी का ठण्डा रखने के लिए मिट्ठी का जो घड़ा बनाया जाता है उसे बादला कहा जाता है।
  • राजसमन्द जिले के नाथद्वारा के निकट मोलेला गॉंव में टेराकोटा उद्योग विकसित है।
  • डूॅंगरपुर जिले के गलियाकोट में रमकड़ उद्योग प्रसिद्व है जिसमें सौंप स्टोन को तराशकर वस्तुओं का निर्माण किया जाता है।
  • भीलवाड़ा जिले के शाहपुरा में 5 मीटर चौड़े और 30 मीटर लम्बे कपड़े पर लोक देवताओं की जीवनगाथाओं पर आधारित जो चित्र अंकित किये जाते हैं उसे फड़ कहा जाता है।
  • राजस्थान में सतरंगी लहरियों का सर्वाधिक कार्य जयपुर में होता है।
  • राजस्थान में सर्वाधिक हाथों से कागज सांगानेर जयपुर में बनाये जाते है। द्वितीय स्थान पर सवाई माधोपुर का है।

राजस्थान की हस्तकला (Handicrafts of Rajasthan)
राजस्थान की हस्तकला उसकी संस्कृति, परंपरा, रंगों और राजसी वैभव का जीवंत चित्र है। यहाँ की कलाएं न केवल देश में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रसिद्ध हैं।


🎨 राजस्थान की प्रमुख हस्तकलाएं

क्रम हस्तकला विशेषता / उपयोग क्षेत्र
1️⃣ ब्लॉक प्रिंटिंग (छपाई) लकड़ी के ब्लॉक से कपड़ों पर छपाई बगरू, सांगानेर, जोधपुर
2️⃣ बंधेज / बंधनी रंग-बिरंगे टाई-डाई वस्त्र जयपुर, जोधपुर, उदयपुर
3️⃣ लेहरिया तरंग जैसी टाई-डाई शैली जयपुर, अजमेर
4️⃣ मीनाकारी धातु पर रंगीन इनेमल वर्क जयपुर
5️⃣ कढ़ाई व जरी काम पारंपरिक कढ़ाई, गोटा पट्टी कोटा, जयपुर
6️⃣ लाख की चूड़ियाँ रंगीन और डिजाइनर चूड़ियाँ जयपुर, जोधपुर
7️⃣ पत्त्थर तराशी (Stone Carving) संगमरमर व पत्थरों पर नक़्क़ाशी अजमेर, जयपुर
8️⃣ धातु शिल्प (Metal Craft) पीतल, कांसे आदि से मूर्तियाँ अलवर, धौलपुर
9️⃣ लकड़ी की नक्काशी फर्नीचर, दरवाजे, खिलौने बाड़मेर, बीकानेर
🔟 थप्पा चित्रकला (Phad Painting) कपड़े पर लोकगाथाओं की चित्रकला भीलवाड़ा, शाहपुरा
1️⃣1️⃣ पिचवई पेंटिंग श्रीनाथजी के चित्र, कपड़े पर नाथद्वारा
1️⃣2️⃣ ब्लू पॉटरी नीले रंग की सिरेमिक कला जयपुर
1️⃣3️⃣ कागज की कला (पेपर माचे) सजावटी वस्तुएं जयपुर
1️⃣4️⃣ जूट/रेशमी कालीन हाथ से बुने हुए गलीचे जयपुर, बीकानेर
1️⃣5️⃣ ऊँट की खाल की वस्तुएं बैग, चप्पलें, पर्स आदि बीकानेर

🖼️ राजस्थान की चित्रकलाएं (Traditional Paintings)

चित्रकला विशेषता क्षेत्र
फड़ चित्रकला देवताओं की लोकगाथा (देवनारायण, पाबूजी) भीलवाड़ा
पिचवई चित्रकला श्रीनाथजी को समर्पित नाथद्वारा
मेवाड़ी चित्रकला प्रेम, भक्ति, प्रकृति चित्रण उदयपुर
मारवाड़ी चित्रकला जीवन दृश्य और लोककथाएँ जोधपुर
किशनगढ़ शैली बानी-थानी शैली प्रसिद्ध किशनगढ़ (अजमेर)

🧵 वस्त्र हस्तकला (Textile Craft)

  • मोलेला टेराकोटा कला – मूर्तियों व पट्टिकाओं पर लोककथाएं (राजसमंद)
  • गोटा पट्टी वर्क – शादी-ब्याह के परिधानों पर सुनहरी/चांदी की पट्टी
  • सिल्वर ज्वेलरी व कांच की चूड़ियाँ – महिलाएं विशेष उत्सवों में पहनती हैं

📦 राजस्थान हस्तकला के निर्यात क्षेत्र

  • भारत ही नहीं, विदेशों (जैसे: अमेरिका, फ्रांस, यूके, जापान) में भी
  • मुख्य उत्पाद: बंधनी, कालीन, ब्लू पॉटरी, मीनाकारी गहने, ऊँट-खाल वस्तुएं

📌 परीक्षा उपयोगी तथ्य (One-liners)

  • ब्लू पॉटरी – जयपुर की विश्वप्रसिद्ध सिरेमिक कला
  • फड़ चित्रकला – कपड़े पर पाबूजी व देवनारायण की गाथा
  • पिचवई चित्रकला – नाथद्वारा की पारंपरिक कृष्ण-चित्र शैली
  • बंधनी व लेहरिया – राजस्थानी वस्त्रों की पहचान
  • लाख की चूड़ियाँ – जयपुर व जोधपुर में प्रचलित
  • मीनाकारी – धातु पर रंगीन चित्रांकन, मुख्यतः जयपुर में
  • किशनगढ़ शैली – बानी-थानी चित्र विश्व प्रसिद्ध

📥 आप चाहें तो:

  • मैं एक PDF Chart या इंफोग्राफिक बना सकता हूँ
  • राजस्थान की चित्रकला और हस्तकला पर MCQ Set तैयार कर सकता हूँ
  • या चित्रों सहित हस्तकलाओं की पहचान फाइल

क्या आप इनमें से कुछ चाहेंगे?

राजस्थान की कला एवं संस्कृति – Cloudfront.net

राजस्थान की हस्तकला

राजस्थान की हस्तकलाएँ

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