Dividend को हिंदी में लाभांश कहते है। लाभांश शब्द दो शब्दों को मिला कर बना है लाभ और अंश। आसान शब्दों में लाभ का मतलब हुआ profit और अंश का मतलब हुआ हिस्सा, यानि लाभ का हिस्सा।
शेयर्स ख़रीदने से हमें लाभ 2 तरीकों से होता है। पहला जिन शेयर्स को हमने खरीदा है उसे ऊंचे दामों पर बेचकर और दूसरा dividend से।
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What is a Dividend in Hindi?
Dividend शब्द की उत्पति लैटिन के एक शब्द DIVIDDUM से हुई है। मतलब कंपनी अपने लाभ का एक हिस्सा अपने shareholders में बाँट देती है।
सबसे पहले Dutch East India Company ने सन 1600 में dividend दिया था। सबसे पहले इसी कंपनी ने अपने shareholders को डिविडेंड दिया था और पिछले 400 सालों से यह कंपनी अपने shareholders को लाभांश देती आ रही है।
हर कंपनी के पास प्रॉफिट के दो dividend होते है। पहला,या तो कंपनी अपने पुरे लाभ को अपने व्यापार में लगाने के लिए अपने पास रख ले, दूसरा या कंपनी लाभ का कुछ हिस्सा रखकर बचा हुआ लाभ अपने shareholders के बीच बाँट दें।लाभ का जो बचा हुआ हिस्सा कंपनी अपने shareholders के बीच बाँट देती है, लाभांश कहलाता है।
उदाहरण के लिए 2018 में ABC कंपनी को 100cr का लाभ होता है और वो ABC कंपनी ये निर्णय करती है की वो प्रति शेयर 5/- रुपए का लाभांश देगी और बचे हुए लाभ की व्यापार में लगाएगी। यदि आपके demat account में ABC कंपनी के 1500 शेयर्स है तो आपको 1500 X 5= 7500/- का लाभांश मिलेगा।
डिविडेंड का भुगतान कैसे किया जाता है।
प्रति शेयर के मूल्य के आधार परपर dividend निर्धारित किया जाता है। dividend की घोषणा के बाद उसका भुगतान कंपनी एक विशेष date में करती है। उसे देय(payable) date कहते है। जब भी किसी कंपनी को लाभ होता है तो वह अपने शेयरधारकों के लिए उस लाभ को बचा कर रखती है और उस लाभ को उनके बीच बाँट देती है। कंपनी panel के director’s की सहमति के बाद ही भुगतान के लिए शेयर्स के मूल्य एवं Record Date को जारी करती है।
लाभांश 6 प्रकार के होते है।
1. Cash dividend
इस प्रकार के डिविडेंड का भुगतान अधिकतर कंपनियां नकद यानि cash के रूप में करती है। जो कंपनी से सीधे शेयरधारकों के खातों में भेज दिया जाता है। भुगतान आमतौर पर इलेक्ट्रॉनिक रूप में किया जाता है, या कभी कभी भुगतान चेक के माध्यम से भी किया जाता है।
2. Stock Dividend
नए शेयर्स की जारी करके शेयरधारकों को लाभांश का भुगतान किया जा सकता है। जो लोग सामान्य शेयरों में निवेश करते है वो भी stock dividend का विकल्प चुन सकते हैं। Stock dividend को cash dividend काफी बेहतर माना जाता है। Stock dividend को नकदी में बदलने का विकल्प कंपनी अपने शेयर होल्डर्स को दे सकती है।
3. Asset dividend
शेयर धारकों को कंपनिया dividend के रूप में भौतिक संपत्ति, अचल संपत्ति जैसे घर। ज़मीन आदि के रूप में भी भुगतान करती है। यह एक तरह से गैर मौद्रिक भुगतान मन जाता है।
4. Scrip dividend
Dividend को जारी करने के लिए जब कंपनी के पास पर्याप्त धन या राशी नहीं होती है तो उससे Scrip डिवीडेंड कहते है।
5. liquidating dividend
जब कोई कंपनी किसी नुकशान के चलते अपने व्यापार को बंद कर रही होती है तो liquidating(समाप्त) dividend के रूप में अपने shareholders को भुगतान करती है। किसी भी कंपनी द्वाराकिया गया ये आखरी या अंतिम भुगतान होता है। शेयर्स की संख्या के आधार पर यह भुगतान किया जाता है।
6. Special dividend
कोई भी कंपनी जब अपनी लाभांश भुगतान की नीति से लग किसी dividend का भुगतान करती है तो वह special dividend माना जाता है। जब कोई कंपनी अधिक लाभ कमाती है तो उसे अतिरिक्त लाभांश के रूप में जाना जाता है। सामान्य डिविडेंट की तुलना में यह डिविडेंट अधिक होता है।
कंपनियां लांभांश क्यों देती है?
कंपनियां जनता को अपने स्टॉक बेचती है funds को इकठा करने के लिए। लाभांश वहाँ एक तरह का reward है, जो कंपनियां अपने shareholders को देती है जिनके पास उनके stocks है। बहुत से shareholders लाभांश को देखते हुए ही शेयर्स को खरीदते है, मतलब की कम्पनिया लाभांश का लालच दे कर shareholders को अपनी और आकर्षित करती है।
कौन कौन से कम्पनिया dividend देती है?
dividend ज़्यदातर वह ही कंपनियां देती है जो लाभ कमा रही होती है। नुकसान में रहने वाली कंपनियां लाभांश नहीं देती। आमतौर पर लाभांश वो ही कम्पनिया देती है जो या तो बहुत बड़ी हो या mature हो चुकी हो। क्योंकि जब कंपनियां नयी होती है और अपने business को आगे बढ़ाने के लिए तत्पर होती है तो वह आपने सारा लाभ अपने व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए उपयोग करती है। क्योंकि ऐसी कंपनियां जानती है की आज,लाभ को अगर वह अपने व्यापार में लगा कर आगे भविष्य में ज्यादा लाभ कमा सकती है।
इसमें फायदा निवेशक का भी होता है। क्योंकि companies अपने लाभ को सही जग़ह लगा कर अपने business को बढ़ाती जाएँगी। लाभ के बढ़ने से हमें दो फ़ायदे होंगे। पहला,जिन शेयर्स को हमने खरीदा है, उनका मूल्य भविष्य में बढ़ेगा। दुसरा, अगर भविष्य में कोई कंपनी लाभांश देने के बारें में सोचती है तो वो dividend आज के dividend से कही ज्यादा होगा, ऐसा इसलिए क्योंकि उस कंपनी का लाभ भी बाद गया होगा।
यहाँ धयान देने वाली बात यह है की लाभांश देना या नहीं देना उस कंपनी के निर्देशकों का निर्णय होता है। अगर उन्हें लगता है की लाभ का प्रयोग व्यपार को आगे बढ़ाने में किया जा सकता है तो वह लाभांश नहीं देंगे। और अगर उन्हें यह लगे की बिज़नेस को बढ़ना थोड़ा कठिन है तो वह अपने लाभ का अंश अपने shareholders के बीच बाँट देते है।
हमें लाभांश (dividend) कैसे मिल सकता है?
ऊपर हमने जाना की dividend एक लाभदायक और परिपक्व कंपनी भी देता है और अगर हमें डिविडेंड चाहिए तो हमें ऐसी कंपनी के शेयर्स ख़रीदने होंगे जो लगातार dividend देती है। ऐसी कंपनियों की जानकारी आप ऑनलाइन search करके भी प्राप्त कर सकते है।
लाभांश प्राप्त करने की महत्वपूर्ण तिथियां
Announcement Date
लाभांश की घोषणा, कंपनी द्वारा घोषणा की तय तारीख पर की जाती है और शेयरधारकों द्वारा भुगतान किये जाने से पहले इसे approve किया जाना चाहिए।
Record Date
Record Date एक cut-off date है, जिसे कंपनी द्वारा स्थापित किया जाता है। ताकि ये निर्धारित किया जा सके, की कौन कौन शेयर धारक लाभांश प्राप्त करने के पात्र है। dividend लेने के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना पढता है जैसे Record Date। Record Date उसे date कहते है जिस date में आपका नाम कंपनी के record में shareholder के तौर पर दर्ज़ होना चाहिए। लाभांश देने वाली कंपनी Record date की सार्वजनिक रूप से घोषणा करती है। अगर आपका नाम record date वाले दिन कंपनी रिकार्ड लिस्ट में नहीं है तो आपको उस टाइम का लाभांश नहीं मिलेगा।
Ex-Dividend date
Ex-Dividend date वह Date होती है, जो last date मानी जाती है, अगर कोई Ex-Dividend date बाद स्टॉक या शेयर ख़रीदा है, तो उसे डिविडेंड नहीं मिलता। Ex-Dividend Date, रिकॉर्ड डेट से ठीक एक दिन पहले होता है। जैसे ही कोई कंपनी रिकॉर्ड डेट की घोषणा करती है, Ex-Dividend Date उसे एक दिन पहले सेट हो जाती है। अगर हमें किसी कंपनी के डिविडेंड चाइये तो हमें उस कप्म्पनी के शेयर्स को ex-dividend date से पहले खरीदना होगा। अगर हम ऐसा नहीं कर पाते हो तो हमें उस time का dividend नहीं मिलेगा। Companies साल में कई बार dividend दे सकती है और हर बार कंपनी एक record date की घोषणा करती है। ताकि जनता को पता चल सके की उन्हें डिविडेंड लेने के लिए कब तक शेयर्स को खरीदना होगा।
अब तक हमें जाना की dividend लाभ के एक अंश होता है। लाभदायक और परिपक्व कंपनी ही लाभांश देती है और अगर हमें किसी कंपनी का dividend चाहिए तो हमें Ex-Dividend Date के पहले उस कंपनी के शेयर्स को खरीदना होगा।
Payment Date
कंपनी द्वारा लाभांश का भुगतान, भुगतान तिथि पर किया जाना चाहिए। यह तब होता है जब पैसा निवेशकों के खातों में जमा हो जाता है।
डिविडेंड के कुछ फायदे भी होते है, जो इस प्रकार है:
लाभांश एक तरह की कर मुक्त आय होती है। Stock या शेयर या mutual fund पर आपको dividend मिलता है तो उस पर कोई टैक्स नहीं लगता है। 10 lakh तक के लाभांश पर कोई टैक्स नहीं लगता है।
लाभांश एक निश्चित आय की तरह होता है। कई साल पुरानी या बड़ी कंपनिया अपने शेयर धारकों को निश्चित समय पर लाभांश देती है।
कंपनिया अपने प्रॉफिट का कुछ हिस्सा अपने शेयरधारकों के साथ साझा करती है, उसे लाभांश कहा जाता है। फिलहाल 10 लाख तक के लाभांश पर शेयरधारकों को कोई कर (tax) नहीं देना होता है, या आप यह कह सकते है कि लाभांश शेयरधारकों के लिए एक tax free आय है। किसी भी कंपनी के लिए लाभांश देना वैकल्पिक है। अगर कोई कंपनी आपको लगातार लाभांश दे रही है तो यह जरूरी नहीं की वह आने वाले समय में भी आपको लाभांश दे। लाभांश देना या नहीं देना कंपनी के Board of directors तय करते है।
हर शेयर का एक अंकित मूल्य (face value) और बाज़ार मूल्य (market value) होती है।
Market Value
स्टॉक मार्किट में जो भी शेयर्स का वर्तमान मूल्य या current price चल रहा होता है उसे मार्किट वैल्यू कहते है। इसका मतलब यह हुआ की, जिस मूल्य पर शेयर्स को खरीदते या बेचते है, वह शेयर की मार्किट वैल्यू होती है।
शेयर की market value मांग और आपूर्ति के कारण लगातार बदलती रहती है।
Face value
कंपनी जब अपने शेयर को बाज़ार में उतारती है तो वह उसकी face value निर्धारित करती है। शेयर की face value, market value की तरह मांग और
आपूर्ति पर निर्भर नहीं होती। Face value कुछ विशेष आयोजनो पर बदलती है। face value का market value से कोई लेना देना नहीं होता है।
Face value का इतेमाल accounting में और लाभांश में होता है। कंपनी जो लाभांश देती है वो शेयर की face value पर देती है। उदाहरण के लिए:
XYZ नामक कोई कंपनी है और उसस्के एक शेयर का मूल्य 1000/- रुपए है और उस शेयर के face value की कीमत 10/- रुपए है।
अगर XYZ कंपनी 200% का लाभांश घोषित करती है तो इसका मतलब है की XYZ अपने शेयर की face value पर 200% लाभांश दे रही है तो XYZ कंपनी के शेयरधारकों को 20/- प्रति शेयर का लाभांश मिलेगा।
Dividend Yield क्या होता है?
कंपनी शेयर के वर्तमान बाज़ार मूल्य के आधार पर कितना लाभांश दे रही है उसे डिविडेंड यील्ड कहते है।
अलग अलग स्टॉक को अलग अलग मूल्य पर trade कर रहे है, उनकी तुलना करने के लिए डिविडेंड यील्ड का इस्तेमॉल किया जाता है। आइये मैं आपको एक उदाहरण से डिविडेंड यील्ड की समझाने का प्रयास करती हूँ।
मान लीजिये 2 कंपनियां है।
company A ने अपने शेयर धारकों को 10/- का लाभांश दिया और company B ने अपने शेयर धारकों को 5/- का लाभांश दिया।
company A का वर्तमान बाज़ार मूल्य (current market price) 175/- है और company B का वर्तमान बाज़ार मूल्य (current market price) 90/- है। तो ऐसे में किस कंपनी ने ज्यादा लाभांश दिया, यह पता लगाने के लिए हम डिविडेंड यील्ड को calculate करते है।
डिविडेंड यील्ड निकलने के लिए:
Space for Math Formula
तो Company A का यील्ड होगा Space for Math Formula और company B का यील्ड होगा. Space for Math Formula.
यहाँ आप देख सकते है की Company A के शेयरधारकों को company B के शेयरधारकों के अधिक लाभांश मिला।
लाभांश के प्रकार
लाभांश दो प्रकार के होते है।
- Interim Dividend: कंपनी कभी भी लाभांश को घोषित कर सकती है। अगर कोई कंपनी वित्तीय वर्ष के बीच में लाभांश देती है तो उसे interim dividend कहते है। वित्तीय वर्ष यानि financial year से हमारा मतलब है, 1 अप्रैल से 31 मार्च।
- Final Dividend: वही अगर डिविडेंड वित्तीय वर्ष के आखिर में दिया जाये तो उसे Final Dividend कहते है।
कभी कभी कुछ कंपनिया कुछ विशेष स्थितियों में एक बार लाभांश देती है। जिसे special dividend कहा जाता है। ये special dividend कंपनी में हुए अप्रत्याशित लाभ और परिसंपत्तियों की बिक्री या किसी और वज़ह मिले पैसों को वितरित करने के लिए दिया जाता है। ये स्पेशल डिविडेंड साल में कभी भी दिया जा सकता है।