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हैरोड और डोमर मॉडल
हैरोड (Harrod) और डोमर (Domar) दोनों अर्थशास्त्रियों ने केन्ज (Keyns) के आय, उत्पादन और रोजगार सम्बन्धी विचार को अधिक व्यापक दीर्घकालीन रुप में प्रस्तुत किया है। हैरोड और डोमर के मॉडल की व्याख्या अलग-अलग ढ़ंग से होने पर भी दोनों मॉडल का सारांश एक ही है। इसी कारण से दोनों मॉडलों का अध्ययन एक साथ ही किया जाता है।
हैरोड-डोमर मॉडल आर्थिक विकास की प्रक्रिया में निवेश को एक महत्वपूर्ण तत्व मानते है क्योंकि निवेश दोहरी भूमिका निभाता है। एक ओर तो आय का निर्माण होता है और वहीं दूसरी ओर पूंजी स्टॉक में वृद्धि करके देश की उत्पादन क्षमता को बढ़ाता है। निवेश की इस पहली विशेषता को ‘मांग प्रभाव’ और दूसरी को ‘पूर्ति प्रभाव’ कहा जाता है। हैरोड-डोमर मॉडल के अनुसार दीर्घकाल में पूर्ण रोजगार की स्थिति को बनाए रखने के लिए शुद्ध निवेश में निरन्तर वृद्धि की जानी चाहिए। इसके लिए वास्तविक आय में निरन्तर वृद्धि उस दर पर की जानी चाहिए ताकि बढ़े हुए पूंजी स्टॉक की पूर्ण क्षमता का प्रयोग हो सके।
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